Tuesday, July 26, 2011

ज़िंदगी तू रुक ज़रा

ज़िंदगी तू चली कहाँ,

रुक ज़रा, थम जा ज़रा,

मंज़िल हैं अभी पाना,

अभी साँसे है बाकी,

ज़िंदगी तू रुक ज़रा,

ज़िंदगी तू थम ज़रा.

माना की तू खुश नही,

वक़्त भी कुछ ठीक नही,

घाम के सायें में है तू जी रही,

पर इतना तू जाने ले,

खुशी की छाया अभी कुछ दूर ही साही,

ज़िंदगी तू रुक ज़रा,

ज़िंदगी तू थम ज़रा.

कुछ एहसास अभी है बाकी,

कुछ पल मुझे अभी जीने दे,

खुशी भी होगी और घाम भी,

हर उस घड़ी को मुझे आज़माने दे,

ज़िंदगी है हर एक पल में,

हर पल में है ज़िंदगी,

आए ज़िंदगी तू रुक ज़रा,

ज़िंदगी तू थम ज़रा.

4 comments:

Rahul said...

hey dude,
'Zindagi tu Rukh zara' that's lovely,couldn't come at a better time when going a through mid-20 crisis.
Really liked these wordings;-
'माना की तू खुश नही,

वक़्त भी कुछ ठीक नही,

घाम के सायें में है तू जी रही,

पर इतना तू जाने ले,

खुशी की छाया अभी कुछ दूर ही साही"

Why don't you compose music for it? Please!

ekta khetan said...

So "Zindagi ruki ki nahi" abhi tak? :)

raMmY said...

@Rahul: Thanks for all the good words buddy! Yes.. maybe you are right. Mid-Life crisis i guess! We're growing Old damn it!:P

@Ekta: Ruki hui hai abhhi! dhakka dena hai abbhi! ..Btw.. thanks for dropping by after a long time!

Revathi said...

Gud one:)